अथ संत श्री बोंदरू चालीसा | Sant Shri Bondaru Chalisa

 अथ संत श्री बोंदरू चालीसा 


गुरु पद-राज सिर धार कर, मातु सरस्वती ध्यान। 

संत प्रवर जय बोंदरू, करूँ भक्ति गुणगान।। 


श्री गणेश, गुरु वंदना, चरण शरण श्री धाम। 

निश्छल मंगल भाव से, सफल सिध्द जो काम।।


समाधिष्ट श्री संत की, पावन भूमि प्रणाम। 

एक मात्र गुरु का वचन, जपें राम का नाम।।



संत बोन्दरू नाम सुपावन,

सिद्ध समाधि सुरम्य सुहावन ।1।


गायों की गौठाण को चिन्हा,

गुरू ने यहां समाधि लिन्हा ।2।


भक्ति भाव से जो कोई ध्यावे,

सूने घर में होय बधावे ।3।


बाबा ने किरपा बरसाई,

ग्राम नागझिरी खुशियां छाई ।4।


सत्रह सौ पैंसठ में जन्में,

दिव्यात्मा उतरी नर तन में ।5।


रामदास जी से दीक्षा पाई,

परम पिता से लगन लगाई ।6।


भक्ति मयी माँ राधा देवी,

पितु गोपाल राम के सेवी ।7।


नागझिरी ननिहाल संत का,

भक्ति ज्ञान के धर्म पंथ का ।8।


गुरू की कृपा संत पर बरसी,

राम प्रेम की धारा सरसी ।9।


गौ सेवा संकल्प उठाया,

छंटने लगी मोह मय माया ।10।


राम नाम जप चले निरंतर,

अजपा जाप चले उर अंतर ।11।


सिद्ध साधना हुई संत की,

बरसी कृपा परम अनन्त की ।12।


मन में जनहित भाव जो आवे,

ईश कृपा से सच हो जावे ।13।


एक बार भिक्षुक घर आये,

घर में सादर उन्हें बिठाए ।14।


भोजन जो रख गई थी माई,

भिक्षुक को सब देय खिलाई ।15।


लौट के माँ जब घर को आई,

बोन्दरू जी ने बात बताई ।16।


माँ ने चौके में जा देखा,

भोजन तो वैसे का वैसा ।17।


संत परीक्षा को प्रभु आये,

भिक्षु वेश में दर्शन पाए ।18।


सुखा कुंआ था बड़वानी में,

राणा जी की हठ ठानी में ।19।


बाबा जी ने ध्यान लगाया,

भरा लबालब पानी आया ।20।


भोलू कृषक तीर्थ पर जाए,

रखवाली पर संत बिठाए ।21।


पंछी उड़-उड़ फसल को खाये,

बाबा उनको नहीं उड़ाए ।22।


राम का खेत रामकी चिड़िया,

भर भर पेट खाओ री चिड़िया ।23।


भोलू जी जब लौट के आये,

देख फसल मन में घबराये ।24।


बाबा जी ने सुरति लगाई,

फसल खेत से दुगनी पाई ।25।


देख चकित ग्रामीण जन सारे,

संत की जै-जै कार उचारे ।26।


कई चमत्कारी घटनाएं,

संत प्रवर से जुड़ी कथाएं ।27।


एक बार कुछ संत पधारे,

ग्राम के बाहर डेरा डारे ।28।


सेवा को बोन्दरू जी धाये,

संतों के मन हृदय लुभाये ।29।


सेवा भाव देख मन हरणे,

बोन्दरू जी पर आशिष बरसे ।30।


मिली आमफल की परसादी,

मेटे व्याधि संत की गादी ।31।


संतति जिस घर मिली न अब तक,

यही आम्रफल दे कुल दीपक।32।


निःसन्तान सुखी हो जावें,

संत कृपा संतति सुख पावे ।33।


अल्प आयु बन प्रभु अनुरागी,

ब्रह्मलीन, जग माया त्यागी ।34।


भादव की नवमी जब आवे,

भक्तोत्सव हर साल मनाएं ।35।


ग्राम नागझिरी भरता मेला,

भक्त जनों का लगता रैला ।36।


सुबह फड़ों से हो ध्वज रोहण,

शोभा यात्रा हो अति सोहन ।37।


गांव गांव से मण्डली आवे,

झांझ मृदंग पर भजन सुनावे ।38।


भक्ति भाव रावलिये नाचे,

तन्मय ये तन -मन से सांचे ।39।


परसादी में कैरी खाएं,

जो संतति की आस लगाए ।40।



सफल मनोरथ हो सभी, मन विश्वास प्रभात।

निःसंतानों को मिले, खुशियों की सौगात ।।


बाबा के दरबार से, खाली कोई न जाय।

मन्नत सब की पूर्ण हो, जो कोई मांगे आय।।


तन्मय शुभ संकल्प हो, मन में निर्मल भाव।

राम कृपा से संत श्री, पार लगावे नाव।।


जय जय जय श्री बोंदरू, राम नाम चित लाय।

शत शत वन्दन नमन है, कृपा करो हर साय।।


-- रचयिता --

सुरेश कुशवाहा "तन्मय" 

9893266014


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